राष्ट्रीय विकास की धारा / रिपोर्टर प्रकाश जोशी
Date 16/03/25
बिलासपुर:
मिली जानकारी के अनुसार, बिलासपुर के कोटा (करगी रोड) निवासी गिरजा साहू (24) अपने पति के साथ पेट दर्द की शिकायत लेकर सिम्स अस्पताल पहुंची थीं। उसी समय अस्पताल में कविता नाम की एक अन्य महिला भी भर्ती थी, जिसके गर्भ में आठ महीने के शिशु की डिलीवरी से पहले मृत्यु हो चुकी थी। डॉक्टरों ने कविता के लिए गर्भपात (अबॉर्शन) की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था, लेकिन अस्पताल स्टाफ की लापरवाही के कारण गिरजा साहू को बुलाकर उसे ही अबॉर्शन का इंजेक्शन दे दिया गया।
गिरजा साहू ने बताया कि डॉक्टरों को अपनी गलती का अहसास होते ही आपस में बहस शुरू हो गई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस घटना के बाद अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई और परिजनों ने कड़ा विरोध जताया।
अस्पताल प्रशासन ने पल्ला झाड़ा :
जब इस गंभीर लापरवाही पर अस्पताल प्रशासन से सवाल किए गए, तो सिम्स के अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने इसे लापरवाही मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने दावा किया कि गर्भपात का इंजेक्शन नहीं, बल्कि खून का रिसाव रोकने के लिए दवा दी गई थी। हालांकि, उन्होंने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है।
परिजनों में आक्रोश, न्याय की मांग:
गिरजा साहू के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि डॉक्टरों और स्टाफ की लापरवाही ने उनके परिवार की खुशियां छीन लीं। परिजनों ने दोषी स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए न्याय की गुहार लगाई है।
पहले भी लापरवाही के मामले पर अबतक कोई कार्यवाही नहीं हुईअब एक और मामला सामने :
यह कोई पहली घटना नहीं है जब सिम्स अस्पताल में लापरवाही हुई हो। इससे पहले भी गलत इलाज, मरीजों की अदला-बदली और इलाज में देरी के कारण कई मरीजों की जान जा चुकी है। इस ताजा मामले ने अस्पताल में फैले कुप्रबंधन और लापरवाही को उजागर कर दिया है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल:
अब देखना होगा कि अस्पताल प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह दबा दिया जाएगा? परिजन न्याय की मांग पर अड़े हुए हैं और यदि उचित कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करने की भी चेतावनी दे रहे हैं।