राष्ट्रीय विकास की धारा / रिपोर्टर प्रकाश जोशी
रायपुर : जल संरक्षण विशेषज्ञ डॉ विपिन दुबे का कहना है कि लगभग 15 साल पहले रायपुर का भूजल स्तर काफी अच्छा था। सभी क्षेत्रों में ढाई सौ से 300 फीट में अच्छा पानी उपलब्ध रहता था, लेकिन आज बहुतायत मात्रा में शहरीकरण का कार्य हुआ है। इस दौरान काफी संख्या में मकान बने हैं। अधिकतर मकान में ट्यूबवेल खनन किया गया है। जिससे भूजल का दोहन अधिक मात्रा में हुआ है। इसकी वजह से आज रायपुर का अधिकांश क्षेत्र में भू जल स्तर काफी नीचे चला गया है। भूजलस्तर के नीचे जाने के पीछे कई कारण है। जैसे शहरीकरण होना, आबादी का बढ़ना, कांक्रीट का जंगल बनना और अत्यधिक ट्यूबवेल खनन करना। ऐसे में शहर में बहुत कम ऐसी जगह बची है जो मिट्टी की है और वहां से बरसात का पानी जमीन में जाता है। उससे भूजल का स्तर बढ़ता है, लेकिन देखा जा रहा है कि जल प्रबंधन बहुत अच्छा नहीं है। जल संरक्षण का कार्य भी काफी धीमी गति से चल रहा है। इस वजह से भी भूजल का स्तर नीचे गिरता जा रहा है। बारिश का पानी भी भूमि के अंदर नहीं जा पा रहा है।
छत्तीसगढ़ में 1200 एमएम बारिश होती है। लेकिन इस बारिश के पानी को हम रोक नहीं पाते हैं। जो हमारे लिए अभिशाप बन गया है। यदि हम बारिश के पानी को रोकते हैं, तो नदियां तालाब भी जीवित रहेंगे। हर क्षेत्र में जलस्तर भी अच्छा रहेगा। भूजल स्तर छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि विश्व के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में जल संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा। शासन ने जल संरक्षण अनिवार्य किया है। जिसके तहत भवन निर्माण के दौरान वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य है। इसकी मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है। लगातार घरों में ट्यूबवेल खनन का काम चल रहा है। उसे रोकने कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। ऐसे में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और ट्यूबवेल खनन को लेकर मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है – डॉ विपिन दुबे, जल संरक्षण विशेषज्ञ
कुछ साल पहले शंकर नगर सिविल लाइन क्षेत्र में लगभग 300 से 400 फीट नीचे पानी मिल जाता था. लेकिन आज 800 फीट नीचे तक पानी नहीं मिल रहा है। देवपुरी क्षेत्र में 300 फीट पानी मिल जाता था, लेकिन अब लगभग 800 फीट नीचे पानी चला गया है। इसी तरह कचना क्षेत्र की बात की जाए तो वहां पहले लगभग 400 फीट नीचे पानी था। लेकिन अब लगभग 700 से 800 फीट नीचे पानी चला गया है, वहीं सड्डू क्षेत्र में भी लगभग 400 फीट की गहराई में पानी मिल जाता था, लेकिन अब 800 फीट के नीचे भी कई जगह पर पानी नहीं है। वही भनपुरी क्षेत्र में भी पहले 300 से 400 फीट नीचे पानी मिलता था, लेकिन आज 800 से 1000 फीट नीचे पानी चला गया है। राजेंद्र नगर की बात की जाए तो यहां भी 300 से 400 फीट नीचे पानी था, लेकिन आज की स्थिति में 600 से 800 फीट नीचे पानी चला गया है। ऐसे में राजधानी वासियों के लिये आने वाले समय में यह बहुत बड़ी समस्या खड़ी होने वाली है, जिसका अहसास किसी को नहीं है शायद।