
रिपोर्टर – ललित अग्रवाल
तिल्दा-नेवरा।
श्रीमद्भागवत कथा को सुनने का सौभाग्य अत्यंत दुर्लभ माना गया है। कथा प्रवचन के दौरान बताया गया कि जिस भक्त पर भगवान की असीम कृपा होती है, वही इस पवित्र कथा का श्रवण कर पाता है। यह कथा इतनी महान और दिव्य है कि स्वयं देवराज इंद्र को भी इसका सुनना सहजता से नसीब नहीं हुआ। श्रद्धा और प्रेम से कथा सुनने वाले भक्तों के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
प्रवचन में संतों ने भक्ति की सर्वोत्तम मिसाल के रूप में मीराबाई के जीवन का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि मीरा की भक्ति अडिग और निष्कपट थी। समाज द्वारा अनेक बाधाएँ डाले जाने के बावजूद उनका विश्वास श्रीकृष्ण की चरण वंदना में अटल रहा। उनका संपूर्ण जीवन ही भक्ति और समर्पण का प्रेरक आदर्श है।
कथावाचक ने कहा कि भगवान हर पल अपने भक्तों के साथ रहते हैं। उनके दुःख-सुख में सहभागी बनकर, उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाते हैं।
प्रवचन के दौरान श्रीकृष्ण के सर्वव्यापक स्वरूप को भी समझाया गया। बताया गया कि इस सृष्टि में पर्वत, नदियाँ, वृक्ष, पशु-पक्षी सहित जो कुछ भी है — वह भगवान का ही स्वरूप है।
कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति रही और भक्ति, प्रेम एवं श्रीकृष्ण नाम के संकीर्तन से वातावरण भाव-भक्ति से सराबोर रहा।



