जोधपुर हादसे में एक साथ उठीं 12 अर्थियां — श्मशान भी रो पड़ा, मां-बेटी, दादी-पोता, देवरानी-जेठानी की चिताएं देख हर कोई फफक उठा

जोधपुर। सोमवार का दिन जोधपुर के लिए कभी न भूलने वाला साबित हुआ।
चांदपोल माली समाज मोक्ष धाम में जब एक साथ 12 अर्थियां पहुंचीं, तो ऐसा लगा मानो श्मशान भी रो पड़ा हो।
यह सभी पार्थिव देहें फलोदी जिले के मतोड़ा गांव में रविवार शाम हुए दर्दनाक सड़क हादसे में असमय काल के गाल में समाए सांखला परिवार के सदस्यों की थीं।
🔸एक ही मोहल्ले से उठीं 12 अर्थियां
चांदपोल नैणची बाग और खटुकुड़ी क्षेत्र में सुबह से ही मातम का माहौल था।
दोपहर करीब दो बजे जैसे ही एक के बाद एक 12 अंतिम यात्राएं मोहल्ले से रवाना हुईं, तो बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी की आंखें नम हो गईं।
मोक्ष धाम में पहली बार ऐसा दृश्य देखने को मिला, जब 12 चिताएं एक साथ जलीं।
🔸मां-बेटी, दादी-पोता, मां-बेटा, देवरानी-जेठानी — सब एक साथ पंचतत्व में विलीन
आर्य समाज के विद्वानों ने गायत्री मंत्र और वेद मंत्रों के बीच अंतिम संस्कार की विधि पूरी करवाई।
दोपहर 3:08 बजे जब परिजनों ने एक साथ मुखाग्नि दी, तो हर कोई फफक पड़ा।
🔸दादी की गोद में खेलने वाला पोता, आज उसी के पास चिता पर
मोक्ष धाम का सबसे मार्मिक दृश्य था — सज्जन कंवर पत्नी ओमप्रकाश और उनके 10 वर्षीय पौत्र प्रणव की चिताएं पास-पास रखी गईं।
जो पोता कल तक दादी की गोद में खेलता था, आज उसी के पास चिता पर लेटा था।
परिजनों ने कांपते हाथों से जब प्रणव की चिता में आग लगाई, तो हर आंख नम और हर दिल द्रवित हो उठा।
🔸आंसुओं से दी विदाई
मीना, मधु, खुश, टीना, शर्मिला, गीता, सानिया, दीक्षा, लता, रामेश्वरी, सज्जन कंवर और प्रणव — सभी को समाज और परिजनों ने अश्रुपूरित विदाई दी।
चिता को अग्नि देने से पहले हर पार्थिव देह पर फूल नहीं, आंसू अर्पित किए गए।
जोधपुर के माली समाज सहित अनेक समाजों के लोग अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंचे। पूरा शहर इस त्रासदी से अब भी स्तब्ध है।



