
6 अक्टूबर 2025
मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में दर्ज हुई बच्चों की रहस्यमयी मौतों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में इन मौतों का संबंध एक कफ सिरप ‘Coldrif’ से जुड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिरप के कुछ बैचों में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (Diethylene Glycol – DEG) नामक विषैला रासायनिक तत्व पाया गया है, जो अत्यंत हानिकारक और जानलेवा होता है। इस संभावित लिंक ने राज्य सरकारों, केंद्र सरकार और दवा नियामक एजेंसियों को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है।
घटनाओं की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ हफ्तों में मध्य प्रदेश के कुछ जिलों और राजस्थान के कोटा, झालावाड़ और भीलवाड़ा क्षेत्र में कई बच्चों की मौतें दर्ज की गईं। सभी मामलों में एक समानता पाई गई — बच्चों को खांसी-जुकाम के इलाज के लिए ‘Coldrif’ कफ सिरप दिया गया था। दवा सेवन के बाद बच्चों में उल्टी, बेहोशी, मूत्र कम होना और अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने जैसे लक्षण देखने को मिले।
स्वास्थ्य विभाग को जब एक जैसी शिकायतें कई अस्पतालों से मिलीं, तो सैंपल लेकर लैब जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट में कुछ बैचों में डाइएथिलीन ग्लाइकोल की उपस्थिति मिली, जो मानव शरीर के लिए जहरीला होता है और गुर्दे की कार्यप्रणाली को नष्ट कर सकता है।
क्या है डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG)?
डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) एक औद्योगिक सॉल्वेंट है जिसका इस्तेमाल पेंट, एंटीफ्रीज़ और औद्योगिक रसायनों में किया जाता है। दवा निर्माण में इसका प्रयोग नहीं होना चाहिए, लेकिन कुछ मामलों में यह ग्लिसरीन या प्रोपिलीन ग्लाइकोल जैसी वैध सामग्रियों की जगह गलती से या जानबूझकर मिलाया जाता है क्योंकि यह सस्ता होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में DEG जाने से किडनी फेल्योर, तंत्रिका तंत्र पर असर, बेहोशी, और मृत्यु तक हो सकती है। बच्चों में यह प्रभाव और भी तेज़ी से होता है क्योंकि उनका शरीर विषाक्तता का सामना नहीं कर पाता।
सरकार और प्रशासन की सख्ती
मामले के सामने आने के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों ने इस सिरप की सभी बिक्री, वितरण और उपयोग पर तत्काल रोक लगा दी है।
राज्य दवा नियंत्रण विभागों ने उस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है, जिसने यह सिरप बनाया था — बताया जा रहा है कि यह Sresan Pharma नामक कंपनी है।
केंद्र सरकार ने भी स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के माध्यम से जांच का आदेश दिया है।
केंद्र ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि 2 से 5 साल के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी कफ सिरप न दिया जाए। इसके साथ ही, बाजार में बिक रहे सभी बच्चों के सिरप के नमूने दोबारा जांचे जा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं और कोई दूषित बैच तो नहीं है।
विशेषज्ञों की राय
भोपाल एम्स के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ जैन का कहना है,
> “डाइएथिलीन ग्लाइकोल एक बेहद जहरीला तत्व है। बच्चों में यह गुर्दे और लिवर को तुरंत प्रभावित करता है। अगर किसी सिरप में यह पाया गया है, तो यह गंभीर उत्पादन चूक है और सख्त कानूनी कार्रवाई जरूरी है।”
दिल्ली के विषविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. वी.के. अग्रवाल ने कहा,
“भारत में दवा निर्माण के लिए सख्त मानक हैं, लेकिन कभी-कभी स्थानीय स्तर पर घटिया कच्चे माल या गुणवत्ता परीक्षण में लापरवाही से ऐसे हादसे हो जाते हैं। यह घटना चेतावनी है कि दवा सुरक्षा पर निरंतर निगरानी जरूरी है।”
पिछले उदाहरण याद दिला रहे हैं खतरे
यह पहली बार नहीं है जब भारत में कफ सिरप से बच्चों की मौतें सामने आई हैं।
साल 2022 में अफ्रीकी देश गाम्बिया में भारत में बनी कफ सिरप के सेवन से 70 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी। तब भी जांच में डाइएथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल जैसे विषैले पदार्थ मिले थे।
इसके अलावा, 2023 में उज्बेकिस्तान और 2024 में कंबोडिया में भी भारतीय सिरप से संबंधित मौतों की रिपोर्ट आई थीं।
इन घटनाओं के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत से दवा निर्माण मानकों की समीक्षा करने की सिफारिश की थी।
कंपनी की सफाई
इस बीच, सिरप बनाने वाली कंपनी Sresan Pharma ने अपने बयान में कहा है कि उनकी उत्पादन प्रक्रिया सभी मानकों के अनुरूप है और कंपनी ने “फार्माकोपिया ग्रेड ग्लिसरीन” का उपयोग किया है। कंपनी ने कहा कि “असली कारण का खुलासा जांच के बाद ही होगा।”
हालाँकि, राज्य की ड्रग लैब ने जिन बैचों की जांच की है, उनमें DEG की पुष्टि हुई है। केंद्र सरकार ने कंपनी के उत्पादन लाइसेंस को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।
जांच की स्थिति
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि फॉरेंसिक लैब और मेडिकल कॉलेजों की रिपोर्ट आने के बाद मौतों का कारण स्पष्ट होगा। फिलहाल बच्चों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और ब्लड सैंपल केंद्रीय जांच टीम को भेजे गए हैं।
मंत्रालय ने कहा है कि दोषी पाए जाने पर कंपनी और संबंधित अधिकारियों पर मर्डर जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
माता-पिता के लिए चेतावनी और सलाह
विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता से अपील की है कि —
1. बच्चों को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
2. स्थानीय दवा दुकानों से बिना पर्ची दवा न खरीदें।
3. “Coldrif” या इसी नाम से मिलते-जुलते किसी भी कफ सिरप का सेवन तुरंत बंद करें।
4. यदि सिरप सेवन के बाद बच्चे में उल्टी, थकान, मूत्र कम होना या बेहोशी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाएँ।
केंद्रीय स्तर पर बड़ी बैठक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सोमवार को सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों और ड्रग कंट्रोल अधिकारियों की बैठक बुलाई।
बैठक में निर्णय लिया गया कि दवा निर्माण इकाइयों की आकस्मिक जांच (surprise inspection) की जाएगी, और बच्चों के लिए बनने वाली सभी सिरप, सिरिंज और सस्पेंशन की गुणवत्ता दोबारा परखी जाएगी।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौतों ने दवा सुरक्षा की मौजूदा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हालाँकि जांच अभी जारी है और किसी कंपनी या उत्पाद को अंतिम रूप से दोषी नहीं ठहराया गया है, लेकिन यह मामला इस बात की चेतावनी है कि बच्चों के लिए बनने वाली दवाओं में क्वालिटी कंट्रोल में ज़रा-सी चूक भी घातक साबित हो सकती है।
सरकार, डॉक्टर और अभिभावक — तीनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि मासूमों की जान किसी सस्ती या दूषित दवा की कीमत न चुकाए।