आजमगढ़ जिला कारागार में 52.85 लाख का गबन, चार आरोपी गिरफ्तार — जेल कर्मचारियों और बंदियों की मिलीभगत से हुआ फर्जीवाड़ा

आजमगढ़
जिला कारागार के सरकारी खाते से ₹52,85,000 की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस सनसनीखेज मामले का खुलासा करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें जेल के दो कर्मचारी और दो पूर्व बंदी शामिल हैं। आरोपियों ने जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर और मोहर लगाकर बैंक से रकम निकाल ली थी।
जानकारी के मुताबिक, जेल अधीक्षक आदित्य कुमार ने थाना कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि कारागार के सरकारी खाते से धोखाधड़ी कर 52 लाख 85 हजार रुपये की निकासी की गई है। जब खाते का विवरण मंगाया गया, तो पता चला कि यह रकम बंदी रामजीत यादव उर्फ संजय के खाते में ट्रांसफर की गई थी।
रामजीत यादव, जो 20 मई 2024 को सजा पूरी कर जेल से रिहा हुआ था, ने अपने साथी शिवशंकर यादव उर्फ गोरख के साथ मिलकर यह साजिश रची। शिवशंकर बंदी रहते समय लेखा कार्यालय में राइटर के रूप में तैनात था। दोनों ने जेल कर्मचारियों मुशीर अहमद (वरिष्ठ सहायक/प्रभारी लेखा) और अवधेश कुमार पांडेय के साथ मिलकर अधीक्षक की चेकबुक चोरी की और फर्जी हस्ताक्षर व मुहर लगाकर रकम निकालने की योजना बनाई।
जांच में सामने आया कि आरोपियों ने कई बार ब्लैंक चेक भरकर रकम अपने-अपने खातों में ट्रांसफर कराई। पुलिस ने शनिवार देर रात चारों आरोपियों — रामजीत यादव, शिवशंकर यादव, मुशीर अहमद और अवधेश पांडेय — को कोतवाली थाना परिसर से हिरासत में लिया।
बरामदगी और स्वीकारोक्ति:
पुलिस अधीक्षक नगर मधुबन कुमार सिंह ने बताया कि मुख्य आरोपी रामजीत यादव से गबन की रकम से खरीदी गई बुलेट मोटरसाइकिल, मोबाइल, बैंक चेक की फोटो, बैंक स्टेटमेंट और जिला कारागार की फर्जी मोहर बरामद की गई। पूछताछ में उसने बताया कि उसने अपनी बहन की शादी में ₹25 लाख खर्च किए, ₹3.75 लाख की बुलेट खरीदी और ₹10 लाख कर्ज चुकाने में लगाए। उसके खाते में बचे ₹23 हजार रुपये को पुलिस ने होल्ड करा दिया है।
अन्य आरोपियों ने भी कबूल किया कि उन्होंने अपने हिस्से की रकम खर्च कर दी। मुशीर अहमद ने ₹7 लाख, शिवशंकर यादव ने ₹5 लाख और अवधेश पांडेय ने ₹1.5 लाख व्यक्तिगत खर्चों में उड़ा दिए।
पुलिस ने सभी के खिलाफ धोखाधड़ी, सरकारी दस्तावेज की चोरी और फर्जी हस्ताक्षर के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।




