
रायपुर। 1 नवंबर — यह तारीख हर छत्तीसगढ़वासी के दिल में गर्व और आत्मसम्मान की भावना जगाती है। साल 2000 में इसी दिन छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश से अलग होकर भारत का 26वां राज्य बना था। तभी से हर वर्ष 1 नवंबर को “छत्तीसगढ़ राज्योत्सव” यानी राज्य का जन्मदिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ एक सरकारी आयोजन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा और पहचान का भव्य उत्सव है।
कैसे बना नया राज्य?
छत्तीसगढ़ की पहचान कोई नई नहीं है — यह धरती कभी ‘दक्षिण कोसल’ के नाम से जानी जाती थी, जिसका जिक्र रामायण और महाभारत दोनों में मिलता है। माना जाता है कि यही वह भूमि है जहाँ भगवान राम की माता कौशल्या का जन्म हुआ था।
“छत्तीसगढ़” नाम भी ऐतिहासिक है — पुराने समय में इस क्षेत्र में 36 गढ़ (किले) हुआ करते थे, और वहीं से इसका नाम पड़ा।
अलग राज्य की मांग पहली बार 1924 में रायपुर में उठी, और लंबे संघर्ष के बाद 1 नवंबर 2000 को भारत सरकार ने ‘मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम’ के तहत छत्तीसगढ़ को एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा दिया।
राज्योत्सव का माहौल
राजधानी रायपुर में राज्योत्सव का मुख्य आयोजन होता है। यहाँ 3 से 5 दिनों तक चलने वाले मेले में पूरे प्रदेश की झलक देखने को मिलती है —
सरकारी प्रदर्शनियाँ: विभिन्न विभाग अपने सालभर के काम और योजनाएं प्रदर्शित करते हैं।
शिल्पग्राम: प्रदेशभर के कारीगर यहाँ अपनी पारंपरिक कलाओं का प्रदर्शन करते हैं — लकड़ी, बांस, बेल मेटल और मिट्टी की अद्भुत कलाकृतियाँ आकर्षण का केंद्र रहती हैं।
फूड कोर्ट: छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की खुशबू पूरे परिसर में फैली रहती है — फरा, चीला, अइरसा, ठेठरी-खुरमी जैसे स्वाद लोगों को बार-बार आने पर मजबूर कर देते हैं।
मीना बाज़ार और फन पार्क: बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के मनोरंजन के लिए ढेरों झूले, खेल और खरीदारी के स्टॉल लगाए जाते हैं।
संस्कृति की झलक: नाच-गाना, कला और परंपरा
छत्तीसगढ़ राज्योत्सव की आत्मा उसकी संस्कृति में बसती है। मंच पर प्रदेश के कोने-कोने से आए कलाकार पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत करते हैं —
पंथी नृत्य: सतनामी समाज का यह नृत्य गुरु घासीदास को समर्पित है, जिसमें कलाकार मानव पिरामिड बनाकर अद्भुत प्रदर्शन करते हैं।
राउत नाचा: यादव समाज का पारंपरिक नृत्य, जो भगवान कृष्ण की लीलाओं पर आधारित होता है।
राज्य अलंकरण समारोह — सम्मान छत्तीसगढ़ गौरव का
राज्योत्सव के समापन दिवस पर होता है “राज्य अलंकरण समारोह”, जिसमें उन हस्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने छत्तीसगढ़ का नाम देश-दुनिया में रोशन किया है।
मुख्य पुरस्कारों में शामिल हैं:
शहीद वीरनारायण सिंह सम्मान — आदिवासी और पिछड़े वर्ग के विकास हेतु।
गुंडाधूर सम्मान — खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए।
मिनीमाता सम्मान — महिला सशक्तिकरण और सामाजिक कार्यों के लिए।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ राज्योत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह माटी, मान और ममता का संगम है। यहाँ हर छत्तीसगढ़वासी अपने राज्य की समृद्ध परंपरा और अस्मिता का उत्सव मनाता है।
यदि आप कभी 1 नवंबर के आस-पास छत्तीसगढ़ आएं, तो इस भव्य राज्योत्सव का हिस्सा ज़रूर बनें — क्योंकि यही है असली “छत्तीसगढ़िया गौरव” का एहसास!




