धरसींवा में करवा चौथ: आस्था और उल्लास के रंग में सराबोर अंचल,,

न्यूज रिपोर्टर मोहम्मद उस्मान सैफी
धरसींवा। करवा चौथ के पुनीत पर्व पर धरसींवा अंचल के सैकड़ो गांव जिसमे धरसींवा, परसतराई , रैता, सिलयारी सहित अंचल में आस्था, प्रेम और पारंपरिक उल्लास के एक अनुपम रंग में सराबोर रहा। हज़ारों सुहागिनों ने अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना के लिए निर्जला उपवास रखा। पर्व का यह पवित्र समर्पण धरसींवा की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर गया।
निर्जला व्रत: अटूट विश्वास और प्रेम का अलौकिक तेज
अंचल में सुबह से ही घरों में उत्सव का माहौल था सुहागिनों ने स्नान के उपरांत पारंपरिक परिधान धारण किए और पूरे विधि-विधान से पूजा की तैयारी की। दिन भर जल की एक बूँद तक त्यागे बिना, महिलाओं ने धैर्य और दृढ़ता का परिचय दिया। कई स्थानों पर सामुदायिक रूप से व्रत कथा का आयोजन किया गया। उनके चेहरों पर पति के प्रति अगाध प्रेम का अलौकिक तेज स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
बाज़ारों में रिकॉर्ड तोड़ खरीदारी: रौनक और व्यापार की बहार,,
पर्व के आगमन के साथ ही धरसींवा के प्रमुख बाज़ारों में उत्सवी भीड़ देर शाम तक उमड़ती रही। महिलाओं ने पूजा सामग्री, सोलह श्रृंगार के सामान, रंग-बिरंगी साड़ियों और आभूषणों की जमकर खरीदारी की। इस बार त्योहार पर मिष्ठान की बिक्री ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। विशेष रूप से गुड़ की मिठाइयों और पारंपरिक पकवानों की दुकानों पर ग्राहकों की लंबी कतारें लगी रहीं।
चाँद की दीदार में अटकी आँखें: बेमौसम बारिश ने बढ़ाई चिंता
करवा चौथ की परंपराओं के अनुसार, महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद करवे से अर्घ्य देकर, पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। यह परंपरा दांपत्य जीवन में प्रेम, समर्पण और विश्वास के महत्व को उजागर करती है। हालांकि, व्रत खोलते समय बेमौसम बारिश की आशंका ने महिलाओं की चिंता बढ़ा दी, जिससे चांद की दीदार में उनकी आँखें अटकी रहीं। महिलाओं का कहना है कि यह व्रत उनके लिए एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव होता है, जो रिश्तों को और मजबूत करता है।