
तिल्दा नेवरा । इस बार दीपावली पर्व को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी कि पूजन 20 अक्टूबर को किया जाए या 21 अक्टूबर को। इस पर ज्योतिषाचार्य आचार्य संतोष शर्मा ने बताया कि पंचांग अनुसार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर बाद 3:44 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक रहेगी, इसलिए लक्ष्मी-गणेश की पूजा 20 अक्टूबर, सोमवार की शाम प्रदोष काल में करना ही शुभ माना गया है।
- दिवाली का महत्व
दिवाली को अंधकार पर प्रकाश और अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की पूजा करने से घर में समृद्धि, सुख और वैभव की प्राप्ति होती है।
- पूजन विधि
आचार्य शर्मा के अनुसार, प्रदोष काल में स्थिर लग्न (वृष या सिंह लग्न) में पूजन करना अत्यंत फलदायी होता है। पूजा से पहले घर की सफाई कर दीपों से सजाएं, फिर चांदी या मिट्टी के पात्र में लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- घी या तेल के दीपक जलाएं
लक्ष्मी जी को कमल पुष्प, चावल, मिठाई और सिक्के अर्पित करें
गणेश जी को दूर्वा, मोदक और फल अर्पित करें
कुबेर देव को धन-संपत्ति की वृद्धि के लिए नमन करें
- इस दिन का दान का महत्व
दिवाली के दिन तिल, घी, वस्त्र, अनाज और दीपदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दान पितरों की तृप्ति और लक्ष्मी कृपा प्राप्ति का माध्यम माना गया है।
विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करने से सालभर सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- आचार्य शर्मा ने कहा कि श्रद्धा और पवित्र भाव से किया गया दीपावली पूजन व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, धन और सौभाग्य लेकर आता है।
श्री धनतेरस — 18 अक्टूबर, शनिवार
शुभ मुहूर्त:
शुभ: प्रातः 07:27 से 08:54 बजे तक
लाभ-अमृत: दोपहर 13:15 से 16:10 बजे तक
लाभ: सायं 17:36 से 19:10 बजे तक
शुभ-अमृत: रात्रि 20:43 से 23:49 बजे तक
इस दिन भगवान धनवंतरी, लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करने से आरोग्य व समृद्धि की प्राप्ति होती है। नए बर्तन या सोने-चांदी की वस्तु खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है।
- श्री महालक्ष्मी-कुबेर पूजन — 20 अक्टूबर, सोमवार
शुभ मुहूर्त:
अमृत: 06:02 से 07:29 बजे तक
शुभ: 08:55 से 10:20 बजे तक
चर-लाभ-अमृत-चर: 13:15 से 19:08 बजे तक
लाभ: 22:15 से 23:48 बजे तक
गोधूलि बेला: 16:43 से 18:19 बजे तक
वृष लग्न: 19:02 से 21:01 बजे तक
सिंह लग्न: 01:28 से 03:39 बजे तक
इस दिन प्रदोष काल और वृष लग्न में लक्ष्मी-कुबेर पूजन करने से घर में धन, वैभव और स्थायी समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दीपावली की रात्रि पवित्र महानिशा में देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति और घर-परिवार में सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य बढ़ाने हेतु विशेष मंत्र एवं स्तोत्रों का पाठ अत्यंत फलदायी माना गया है।
ज्योतिषाचार्यों और धर्माचार्यों के अनुसार, इस शुभ रात्रि में श्रीयंत्र अर्चन के साथ निम्नलिखित स्तोत्रों का विधिपूर्वक पाठ करने से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं
🔹 श्री सूक्त – वैदिक ऋचाओं से युक्त यह स्तोत्र धन, ऐश्वर्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
🔹 श्री कनकधारा स्तोत्र – आदि शंकराचार्य द्वारा रचित यह स्तोत्र दरिद्रता दूर कर लक्ष्मी कृपा को स्थायी बनाता है।
🔹 श्री महालक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र – लक्ष्मी-नारायण की संयुक्त उपासना से जीवन में सुख-शांति और वैभव आता है।
🔹 श्री गोपाल सहस्त्रनाम – भगवान श्रीकृष्ण के सहस्त्र नामों के जप से मनोवांछित फल प्राप्त होता है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
🔹 श्री ललना नुपुरसुंदरी सहस्त्रनाम स्तोत्र – इस स्तोत्र के पाठ से सौंदर्य, ऐश्वर्य और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।
- अमावस्या स्नान-दान व श्री महालक्ष्मी-कुबेर पूजन — 21 अक्टूबर, मंगलवार
शुभ मुहूर्त:
लाभ-अमृत: 10:21 से 13:15 बजे तक
शुभ: 14:41 से 16:08 बजे तक
लाभ: 19:08 से 20:41 बजे तक
गोधूलि बेला: 16:43 से 18:19 बजे तक
वृष लग्न: 18:59 से 20:58 बजे तक
इस दिन स्नान, दान, श्राद्ध और दीपदान का विशेष महत्व है। अमावस्या तिथि पर महालक्ष्मी-कुबेर की पूजा करने से सालभर धन की वृद्धि होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
आचार्य संतोष शर्मा ने कहा कि श्रद्धा और विधिपूर्वक किए गए इन पूजाओं से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, धन और स्वास्थ्य का संयोग प्राप्त होता है।




