19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने रचा इतिहास – 200 साल बाद मिली ‘वेदमूर्ति’ की उपाधि

नई दिल्ली/काशी। महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में जन्मे 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने वह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जिसे पाने में बड़े-बड़े विद्वानों को भी वर्षों की साधना लग जाती है। लगभग 200 साल बाद, उन्होंने ‘वेदमूर्ति’ की अत्यंत दुर्लभ और प्रतिष्ठित उपाधि प्राप्त कर भारत का मान बढ़ाया है। इससे पहले करीब दो शताब्दी पूर्व नासिक के नारायण शास्त्री देव को यह उपाधि मिली थी।
देवव्रत की इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “19 वर्ष के देवव्रत महेश रेखे जी की अद्भुत उपलब्धि जानकर मन प्रफुल्लित हो गया है। उनकी यह सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारतीय वैदिक परंपरा में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति के लिए यह बेहद गर्व का विषय है कि देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के लगभग 2000 मंत्रों वाले ‘दण्डकर्म पारायणम्’ को 50 दिनों तक बिना किसी अवरोध के पूर्ण किया। इस पारायण में अनेक वैदिक ऋचाएं और अत्यंत पवित्र शब्द शामिल होते हैं, जिन्हें उच्चतम शुद्धता, अनुशासन और तप के साथ उच्चारित करना पड़ता है।
पीएम ने यह भी कहा कि यह उपलब्धि भारत की गुरु–शिष्य परंपरा की शक्ति और वैदिक ज्ञान की निरंतरता का सर्वोत्तम उदाहरण है।
काशी से सांसद होने के नाते प्रधानमंत्री ने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि देवव्रत ने यह तपस्या और वैदिक अनुष्ठान पवित्र काशी की धरती पर पूर्ण किए। उन्होंने देवव्रत के परिवार, संत–महात्माओं, विद्वानों और उन सभी संस्थाओं को प्रणाम किया, जिन्होंने इस साधना में योगदान दिया।
देवव्रत की उपलब्धि ने एक बार फिर दुनिया को भारतीय वैदिक परंपरा की गहराई, संस्कृति और आध्यात्मिक शक्ति का अहसास करवाया है। युवा पीढ़ी में इस उपलब्धि से नया विश्वास और उत्साह भी देखने को मिल रहा है।




